ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी,
श्याम नाम रस पी ले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले,
सांचा है दरबार श्याम का,
श्याम प्रभु है रसीले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले।।
लख चौरासी भटक भटक कर,
मानुष काया पाई,
ऐसा फसा जगत में आकर,
सारी सुध बिसराई,
अब भी समय है,
सम्भल जा बावरे,
बंधन करले ढीले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले।।
अमृत मय है नाम श्याम का,
सारे दोष मिटा दे,
अंधकार को दूर भगा,
हिवड़े में ज्योत जगादे,
अन्तर्मुख हो बैठ चैन से,
नैना करले गीले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले।।
श्याम नाम की महिमा को तो,
वेद पुराण बखाने,
गणिका गिद्ध अजामिल तर गए,
तर गए जीव सयाने,
धर्मी अधर्मी ऋषि मुनि योगी,
नाम से हुए रसीले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले।।
श्याम कुटुंब में नाम लिखा,
स्थिरता तुम्हें मिलेगी,
पथ के कांटे फूल बने,
जीवन की बगिया खिलेगी,
‘नन्दू’ कर विश्वास प्रभु पर,
अब भी किस्मत सीले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले।।
ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी,
श्याम नाम रस पी ले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले,
सांचा है दरबार श्याम का,
श्याम प्रभु है रसीले,
तू मस्ती में जी ले,
तू मस्ती में जी ले।।