बाबा महांकाल की नगरी घणी प्यारी लागे भजन लिरिक्स

बाबा महांकाल की नगरी,
घणी प्यारी लागे,
घणी प्यारी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।

तर्ज – मीठे रस से भरयो री।



राम घाट पे नहई ने देखूं,

राम मंदिर अति सुन्दर,
वहां से थोड़ा आगे चालू,
विक्रम जी को मंदिर,
मैया हरसिद्धि की शोभा,
सुखखानी लागे, सुखखानी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।



नया चारधाम मंदिर की,

शोभा बड़ी है विशाल,
एक बगल बापू को आश्रम,
सामे सामे महाकाल,
या के संतो से प्रीत,
बड़ी प्यारी लागे,
बड़ी प्यारी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।



बड़ा गणेश और महाकाल का,

दर्शन करने जाऊँ,
बिच बाजार में खड्यो कन्हैयो,
ओ की शरणे आऊं,
ओ की मूरत से तो प्रीत,
पुराणी लागे पुराणी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।



ढाबा रोड पर बनी हवेली,

श्री नाथ जी की सुन्दर,
गेबी साहब हनुमान विराजे,
वहीँ गली के अंदर,
उनके ह्रदय में हनुमान की झांकी,
प्यारी लागे बड़ी प्यारी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।



चिन्तामण में गढ़कालिका का,

दर्शन करने जाऊँ,
सिद्धनाथ और मंगलनाथ पर,
जाकर शीश नवाउँ,
काल भैरव की महिमा तो,
निराली लागे निराली लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।



बाबा महांकाल की नगरी,

घणी प्यारी लागे,
घणी प्यारी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे,
म्हाने प्यारो प्यारो,
क्षिप्रा जी को पानी लागे।।


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