बोले राणी सुनो पियाजी,
मानो म्हारी बात,
द्वारिका थे जाओ,
थे जाओ पिया थे जाओ,
पूरी दुवारिका थे जाओ।।
जाकर भेंट करो प्रभु ने पिया,
मन मे काई आँट करो,
आपने दिल की सारी बाता,
कहता काई सोच करो,
सारी बाता जाने है वो,
दुवारिका रो नाथ,
द्वारिका थे जाओ।।
दिन मे चाले रात नें चाले,
चाले पाला पाला जी,
सांवरिये की लगन लगाके,
अजमल चाले पाला जी,
जाय मंदिर मे पुग गया जी,
रणसी जी रा लाल,
द्वारिका थे जाओ।।
हाथ जोड़ कर अजमल बोल्या,
सुनलयो अर्जी म्हारी जी,
दुनिया म्हाने ताना मारे,
निपुत्रा बतलावे जी,
एक टाबरियो म्हाने देदो,
आगनिये के माय,
द्वारिका थे जाओ।।
भादूड़े री दूज नें बाबा,
धोरा माहि आया जी,
पाणी रो थे दूध बनायो,
कुमकुम पगळ्या मांड्या जी,
झालर शंख नगाड़ा बाजे,
रूणिचा के माय,
द्वारिका थे जाओ।।
आंधलिया नें आख्या देवो,
पांगलिया पग पावे जी,
निपुत्रा नें पुत्र देवो थे,
निर्धनिया नें माया जी,
गुरु प्रभाकर भजन बनावे,
दास गोपालो गाये,
द्वारिका थे जाओ।।
बोले राणी सुनो पियाजी,
मानो म्हारी बात,
द्वारिका थे जाओ,
थे जाओ पिया थे जाओ,
पूरी दुवारिका थे जाओ।।
गायक – गोपाल सोनी रतनगढ़।