दीवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।
दोहा – है अजब तरह का,
सामान तेरी शिर्डी में,
आता हिन्दू है,
मुसलमान तेरी शिर्डी में,
आए जितने भी,
परेशान तेरी शिर्डी में,
काम सबके हुए,
आसान तेरी शिर्डी में।
दीवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में,
नज़राना दिल का लाया,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
आते है तेरे दर पे,
दुनिया के नर और नारी,
मैं भी मंगता आया रे बाबा,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
मैं दीवाना हो गया रे,
मैं दीवाना हो गया,
मैं शिरडी वाले साईं का,
दीवाना हो गया।
मिल मुझको मेरे बाबा,
भरनी तुम्हे पड़ेगी,
झोली मैं खाली लाया रे बाबा,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
यूँ तो हज़ारो मंजर,
देखे है हसीं मैंने,
दिल ने सुकून पाया रे बाबा,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
शिर्डी को छोड़ कर मैं,
कहीं और कैसे जाऊं,
सब कुछ तो यहीं पाया रे बाबा,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
वो हो राम कृष्ण विष्णु,
या हो शेरोवाली मैया,
मुझे तू ही नज़र आया सब में,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
ना ‘हयात’ भूल पाया,
तेरी शिर्डी का वो मंज़र,
भगवान नज़र आया रे बाबा,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।
दीवाना तेरां आया,
बाबा तेरी शिर्डी में,
नज़राना दिल का लाया,
बाबा तेरी शिर्डी में,
दिवाना तेरा आया,
बाबा तेरी शिर्डी में।।