दो दिन का जगत मे मेला सब चला चली का खेला भजन लिरिक्स

दो दिन का जगत मे मेला,
सब चला चली का खेला।।



कोई चला गया कोई जावे,

कोई गठरी बाँध सिधारे,
कोई खड़ा तैयार अकेला,
कोई खड़ा तैयार अकेला,
सब चला चली का खेला।।



कर पाप कपट छल माया,

धन लाख करोड़ु कमाया,
संग चले ना एक आढेला,
संग चले ना एक आढेला,
सब चला चली का खेला।।



सूत नारी मात पित भाई,

कोई अंत सहायक नही,
फिर क्यो भरता पाप का ढेला,
फिर क्यो भरता पाप का ढेला,
सब चला चली का खेला।।



ये तो है नश्वर सब संसारा,

करले भजन इश् का प्यारा,
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला,
ब्रह्मानंद कहे सुन चेला,
सब चला चली का खेला।।



दो दिन का जगत मे मेला,
सब चला चली का खेला।।


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