गा गा के लोरी ओ,
तोला झूलना झुलावा मईया,
गा गा के लोरी ओ,
चंदन काठ के झूलना बने हे,
फुले-फूल के झालर लगे हे,
रेशम लागे डोरी,
गा गा के लोरी ओ।।
नव दिन अउ नव रथिया झुलाहु,
आबे ओ दाई नव राति म,
तरसत हे मोर नैना ओ मईया,
तोर दरस के खातिर न,
मोर हृदय तोर सुरता बसे हे,
काया म माया जइसे फसे हे,
चारो मुड़ा चहु ओरी,
गा गा के लोरी ओं,
तोला झूलना झुलावा मईया,
गा गा के लोरी ओ।।
तोर भगतन अउ मैं ह मईया,
जस ल तोरे गावव ओ,
बारो महीना दिया जलावव,
आरती तोर सजावव ओ,
सेवक मन तोर पूजा करे माँ,
खाली झोली ओकर भरे न,
दिया बरे कई कोरी,
गा गा के लोरी ओं,
तोला झूलना झुलावा मईया,
गा गा के लोरी ओ।।
गा गा के लोरी ओ,
तोला झूलना झुलावा मईया,
गा गा के लोरी ओ,
चंदन काठ के झूलना बने हे,
फुले-फूल के झालर लगे हे,
रेशम लागे डोरी,
गा गा के लोरी ओ।।
स्वर – महुरि शर्मा।
प्रेषक – मनमोहन साहू।