है धन्य तेरी माया जग में,
ओ दुनिया के रखवाले,
शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले ।।
तर्ज – जहाँ डाल डाल पर सोने की
जो ध्यान तेरा धर ले मन में,
वो जग से मुक्ति पाए,
भव सागर से उसकी नैया,
तू पल में पार लगाए
संकट में भक्तो में पड़ कर तू,
भोले आप संभाले,
शिव शंकर डमरू वाले।।
है कोई नहीं इस दुनिया में,
तेरे जैसा वरदानी,
नित सुमरिन करते नाम तेरा,
सब संत ऋषि और ज्ञानी,
ना जाने किस पर खुश होकर,
तू क्या से क्या दे डाले,
शिव शंकर डमरू वाले।।
त्रिलोक के स्वामी हो कर भी,
क्या औघड़ रूप बनाए,
कर में डमरू त्रिशूल लिए,
और नाग गले लिपटाये,
तुम त्याग के अमृत पीते हो,
नित प्रेम से विष के प्याले,
शिव शंकर डमरू वाले।।
तप खंडित करने काम देव,
जब इन्द्र लोक से आया,
और साध के अपना काम बाण,
तुझ पर वो मूरख चलाया,
तब खोल तीसरा नैन भसम,
उसको पल में कर डाले,
शिव शंकर डमरू वाले।।
जब चली कालिका क्रोधित हो,
खप्पर और खडग उठाए,
तब हाहाकार मचा जग में,
सब सुर और नर घबराए,
तुम बीच डगर में सो कर शक्ति,
देवी की हर डाले,
शिव शंकर डमरू वाले।।
अब दृष्टि दया की भक्तो पर,
हे डमरू धर कर देना,
‘शर्मा’ और ‘लख्खा’ की झोली,
भोले शंकर भर देना,
अपना ही सेवक जान हमे भी,
चरणों में अपना ले,
शिव शंकर डमरू वाले।।
नमामि शंकर, नमामि हर हर,
नमामि देवा महेश्वरा,
नमामि पारब्रह्म परमेश्वर,
नमामि भोले दिगम्बर।।
है धन्य तेरी माया जग में,
ओ दुनिया के रखवाले,
शिव शंकर डमरू वाले,
शिव शंकर भोले भाले ।।