हर ग्यारस को बाबा खाटू में हाजिरी हो

हर ग्यारस को बाबा,
खाटू में हाजिरी हो,
मुझे वही रोक लेना,
जब सांस आखिरी हो।।

तर्ज – तू किरपा कर बाबा।



हर जन्म में सांवरिया,

तेरा दरबार मिले,
जो प्यार दिया तुमने,
हर बार वो प्यार मिले,
किरपा मुझ सेवक पर,
मेरे श्याम तुम्हारी हो,
मुझे वही रोक लेना,
जब सांस आखिरी हो।।



ये दिल की तमन्ना है,

जब अंत समय आए,
सर झुका हो चरणों में,
और झुका ही रह जाए,
तेरे भक्तों की जग में,
ना कोई बराबरी हो,
मुझे वही रोक लेना,
जब सांस आखिरी हो।।



इतनी कृपा करना,

तेरी शरण में जब आऊं,
दीदार करूं तेरा,
और देखता रह जाऊं,
इतनी अर्जी बाबा,
स्वीकार ‘मधुर’ की हो,
मुझे वही रोक लेना,
जब सांस आखिरी हो।।



हर ग्यारस को बाबा,

खाटू में हाजिरी हो,
मुझे वही रोक लेना,
जब सांस आखिरी हो।।

गायक / लेखक – पुष्पेंद्र मधुर


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