हे बांके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है,
हूचक्या ना रुके गोपाल,
हूचक्या ना रुके गोपाल,
काळजो भर भर आवे है,
हे बांके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है।।
तर्ज – आ लौट के आजा।
बांकी सी लटक गई,
मन में अटकते,
कदसी दरश दिखावोगा,
लागि चटक गई,
आंख्या बटक म्हणे,
थे ही धीर बँधाओगा,
मेरी विनती सुणो जी नन्दलाल,
म्हने थारी याद सतावे है,
हे बाँके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है।।
जीवन धन,
मिलने की लगन है,
मत ना जिव दुखावो जी,
निल गगन सो,
थारो बदन म्हणे,
दर्शन श्याम कराओ जी,
थाने निवत जिमास्यु थाल,
म्हने थारी याद सतावे है,
हे बाँके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है।।
हरे बांस की,
बांसुरियां गूंजी,
जिव मेरो भरमायो,
धेनु चरैया रास रचैया,
दिन दिन दरद सवायो,
थारे गल बैजंती माल,
म्हने थारी याद सतावे है,
हे बाँके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है।।
‘श्याम बहादुर’ दर को भिखारी,
‘शिव’ थारो चाकरियो,
एक झलक दिखला के दयालु,
बेगा मनसा भरियो,
मेरो पुरो करो जी सवाल,
म्हने थारी याद सतावे है,
हे बाँके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है।।
हे बांके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है,
हूचक्या ना रुके गोपाल,
हूचक्या ना रुके गोपाल,
काळजो भर भर आवे है,
हे बांके बिहारी लाल,
म्हने थारी याद सतावे है।।