जा रहे हो तो जाओ,
ब्रज छोड़कर,
सबका दिल तोड़कर,
प्रेम ब्रज का कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।।
तर्ज – जिसके सपने हमें रोज।
ये लताएं कदम्ब की,
ये डालियाँ,
तेरे बचपन की साथी,
साँवरिया,
कुञ्ज कलियाँ,
कुञ्ज कलियाँ कहानी,
तेरी गा रही,
ऐसी कलियाँ कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।
जा रहे हो तो जाओं,
ब्रज छोड़कर,
सबका दिल तोड़कर,
प्रेम ब्रज का कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।।
ले ग्वालो को घर में,
आना तेरा,
घर के छीके से,
माखन का चुराना तेरा,
स्वाद माखन का जैसा,
ब्रज में मिला,
ऐसा माखन कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।
जा रहे हो तो जाओं,
ब्रज छोड़कर,
सबका दिल तोड़कर,
प्रेम ब्रज का कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।।
कितनी फोड़ी गगरिया,
पनघट पर,
चिर किसके बचे श्याम,
प्यारे कहो,
तेरे उधमों को जिसने,
हसंके सहा,
ऐसे प्रेमी कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।
जा रहे हो तो जाओं,
ब्रज छोड़कर,
सबका दिल तोड़कर,
प्रेम ब्रज का कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।।
प्रेम करके दीवाना,
बना के हमें,
छोड़ जाते हो किसके,
सहारे कहो,
‘नंदू’ मुरली के जैसे हम,
दीवाने हुए,
ऐसे पागल कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।
जा रहे हो तो जाओ,
ब्रज छोड़कर,
सबका दिल तोड़कर,
प्रेम ब्रज का कन्हैया,
नहीं पाओगे, नहीं पाओगे।।