जाके हनुमान कहना स्वामी से भजन लिरिक्स

जाके हनुमान कहना स्वामी से,

माता सीता हनुमान जी से –
जाके हनुमान कहना स्वामी से,
हर घडी उनको याद करती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जल्दी ले जाए अपनी सीता को,
इतनी फरियाद उनसे करती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जाके हनुमान कहना स्वामी से।।

तर्ज – मेरी किस्मत में तू नहीं शायद।



जो तुम ना नाथ अपनी दासी को,

जल्दी लेने ना आप आओगे,
देर कर दी जो नाथ आने में,
मुझको जिन्दा ना आप पाओगे,
मुझको जिन्दा ना आप पाओगे,
भूल जाए ना नाथ सीता को,
इतना मैं सोच करके डरती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जाके हनुमान कहना स्वामी से।।



मेरी विनती है इतनी स्वामी से,

मेरी इतनी सी बस तमन्ना है,
उनके चरणों में मुझको जीना है,
उनके चरणों में मुझको मरना है,
रात दिन राह देखती हूँ मैं,
आपका इंतजार करती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जाके हनुमान कहना स्वामी से।।



काश उस रोज अपने स्वामी की,

उस घडी बात मान जो लेती,
भेजती ना शिकार करने को,
उसका अंजाम जान जो लेती,
उसका अंजाम जान जो लेती,
कर दे अपराध माफ़ सीता का,
हरी इतनी पुकार करती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जाके हनुमान कहना स्वामी से।।



जाके हनुमान कहना स्वामी से,

हर घडी उनको याद करती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जल्दी ले जाए अपनी सीता को,
इतनी फरियाद उनसे करती हूँ,
प्यासी मछली सी मैं तड़पती हूँ,
ना तो जीती हूँ ना मैं मरती हूँ,
जाके हनुमान कहना स्वामी से।।


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