जो करुणाकर तुम्हारा ब्रज में फिर अवतार हो जाए भजन लिरिक्स

जो करुणाकर तुम्हारा,
ब्रज में फिर अवतार हो जाए,
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ,
गुलजार हो जाए।।



ग़रीबों को उठा लो सांवले,

गर अपने हाथों से,
तो इसमें शक नहीं,
दोनों का जीर्णोद्धार हो जाए,
जों करुणाकर तुम्हारा,
ब्रज में फिर अवतार हो जाए,
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ,
गुलजार हो जाए।।



लुटा कर दिल जो बैठे हैं,

वो रो-रोकर ये कहते हैं,
किसी सूरत से सुंदर श्याम,
का दीदार हो जाए,
जों करुणाकर तुम्हारा,
ब्रज में फिर अवतार हो जाए,
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ,
गुलजार हो जाए।।



बजा दो रसमयी अनुराग की,

वो बाँसुरी अपनी,
की जिसकी तान का,
हर तन में पैदा तार हो जाए,
जों करुणाकर तुम्हारा,
ब्रज में फिर अवतार हो जाए,
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ,
गुलजार हो जाए।।



पड़ी भवसिन्धु में है दिनों के,

दृग बिन्दु की नैया,
कन्हैया तुम सहारा दो,
तो बेड़ा पार हो जाए,
जों करुणाकर तुम्हारा,
ब्रज में फिर अवतार हो जाए,
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ,
गुलजार हो जाए।।



जो करुणाकर तुम्हारा,

ब्रज में फिर अवतार हो जाए,
तो भक्तों का चमन उजड़ा हुआ,
गुलजार हो जाए।।


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