जो खेल गए प्राणों पे,
श्री राम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए,
जो खेल गए प्राणो पे,
श्री राम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए।।
तर्ज – दिल दीवाने का डोला।
सागर को लांघ के इसने,
सीता का पता लगाया,
प्रभु राम नाम का डंका,
लंका में बजा के आया,
माता अंजनी की,
माता अंजनी की ऐसी,
संतान के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए।।
लक्ष्मण को बचाने की जब,
सारी आशाए टूटी,
ये पवन वेग से जाकर,
लाए संजीवन बूटी,
पर्वत को उठाने,
पर्वत को उठाने वाले,
बलवान के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए।।
सालासर में भक्तो के,
ये पूरी करे मुरादे,
मेहंदीपुर में ये ‘सोनू’,
दुखियों के दुखड़े काटे,
दुनिया से निराले,
दुनिया से निराले इसके,
दोनों धाम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए।।
जो खेल गए प्राणों पे,
श्री राम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए,
जो खेल गए प्राणो पे,
श्री राम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,
मेरे हनुमान के लिए।।
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