काल क्या करेगा महाकाल के आगे,
कर लूँगा दो दो बात मैं,
उस काल के आगे,
वो काल क्या करेगा महाकाल के आगे।।
रुतबा है भोलेनाथ का देवो के है अफ़सर,
बैठे है समाधी में वो गौरा के है हर हर,
चम चम चमकता चन्द्रमा शिव भाल के आगे,
फ़िके पडे सब हार मुंडमाल के आगे,
काल क्या करेगा महाकाल के आगे।।
मार्कण्डेय के गले फास वो यमराज ने डाली,
भोले शंकर ने प्रकट होके उसकी मौत को टाली,
स्वामी है इसकी मौत बारह साल के आगे,
काल की चली नहीं शिव ढाल के आगे,
वो काल क्या करेगा महाकाल के आगे।।
नन्दी को भोलेनथ ने मृत्यु से बचाया,
मृत्यु से बचा के उसे गण अपना बनाया,
झुकता नही शिव भक्त किसी हाल के आगे,
चलती ना कोई चाल उनकी चाल के आगे,
काल क्या करेगा महाकाल के आगे।।
भक्तो को भोलेनाथ मालामाल कर दिया,
खुशियो के खजाने को झोलीयो में भर दिया,
भक्ति बडी ‘कमल’ है मायाजाल के आगे,
प्रेमी लगा ले ध्यान तू सुरताल के आगे,
काल क्या करेगा महाकाल के आगे।।
काल क्या करेगा महाकाल के आगे,
कर लूँगा दो दो बात मैं,
उस काल के आगे,
वो काल क्या करेगा महाकाल के आगे।।