खाटु वाले का ये दरबार है,
मांग लो जिसको जो दरकार है।।
तर्ज – साजन मेरा उस पार है।
श्लोक – देवता मैंने जहाँ में,
श्याम सा देखा नहीं,
है बहुत दरबार लेकिन,
श्याम के जैसा नहीं,
है निराला द्वार इसका,
है निराला देवता,
मांग सकते हो तो मांगो,
झोलियाँ भर देता है।
खाटु वाले का ये दरबार है,
मांग लो जिसको जो दरकार है,
खाटु वाले का ये दरबार हैं,
मांग लो जिसको जो दरकार है।।
संकट मिटाते है सब प्राणी के,
आते है जो दर पे श्याम दानी के,
सबके लिए खुला भंडार है,
मांग लो जिसको जो दरकार है,
खाटु वाले का ये दरबार हैं,
मांग लो जिसको जो दरकार है।।
जिसने भी श्याम को पुकारा है,
उसको हरदम दिया सहारा है,
अपने भक्तो से उनको बड़ा प्यार,
मांग लो जिसको जो दरकार है,
खाटु वाले का ये दरबार हैं,
मांग लो जिसको जो दरकार है।।
‘शर्मा’ चल मन मोहन का नाम ले,
आकर चौखट को उनकी थाम ले,
चरणों में करके नमस्कार है,
मांग लो जिसको जो दरकार है,
खाटु वाले का ये दरबार हैं,
मांग लो जिसको जो दरकार है।।
खाटु वाले का ये दरबार है,
मांग लो जिसको जो दरकार है,
खाटु वाले का ये दरबार हैं,
मांग लो जिसको जो दरकार है।।