रंग रंगीला छेल छबीला,
साँवरिया सरकार,
विनती बारम्बार करूँ मैं,
आजाओ एक बार।।
तर्ज – चाँदी जैसा रंग है तेरा
एक झलक दर्शन की देदो,
और ना मैं कुछ चाहूँ,
उमर बिता दूँ इन चरणों में,
तेरा बस गुण गाउँ,
बाँसुरिया की तान सुना दे,
मैं उसमे खो जाऊँ,
सोना चाँदी धन दौलत की,
मुझको नही दरकार,
विनती बारम्बार करूँ मैं,
आजाओ एक बार।।
जीवन देने वाले आजा,
क्यों ना प्रीत निभाए,
क्या तुझे कभी अपने भक्तो की,
याद भी ना आये,
रह नही सकते तुझ बिन अब,
कैसे तुझको समझाए,
तू जो नहीं तो लहरी अपना,
जीवन है बेकार,
विनती बारम्बार करूँ मैं,
आजाओ एक बार।।
ऐसा लागे जनम जनम का,
रिश्ता तेरा मेरा,
श्याम तुझी से खतम करे और,
तुझसे ही हो सवेरा,
तू जो नहीं तो लहरी अपना,
जीवन है बेकार,
विनती बारम्बार करूँ मैं,
आजाओ एक बार।।
रंग रंगीला छेल छबीला,
साँवरिया सरकार,
विनती बारम्बार करूँ मैं,
आजाओ एक बार।।