राणी ​​सतीजी की आरती

राणी ​​सतीजी की आरती 

ॐ जय श्री राणी सती माता , मैया जय राणी सती माता ,
अपने भक्त जनन की दूर करन विपत्ती ||
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत , मंडितचहुँक कुंभा
दुर्जन दलन खडग की विद्युतसम प्रतिभा ||



मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल , शोभा लखि न पडे,

ललित ध्वजा चहुँ ओरे , कंचन कलश धरे ||
घंटा घनन घडावल बाजे , शंख मृदुग घूरे,
किन्नर गायन करते वेद ध्वनि उचरे ||



सप्त मात्रिका करे आरती , सुरगण ध्यान धरे,

विविध प्रकार के व्यजंन , श्रीफल भेट धरे ||
संकट विकट विदारनि , नाशनि हो कुमति,
सेवक जन ह्रदय पटले , मृदूल करन सुमति,
अमल कमल दल लोचनी , मोचनी त्रय तापा ||



त्रिलोक चंद्र मैया तेरी ,शरण गहुँ माता ||

या मैया जी की आरती, प्रतिदिन जो कोई गाता,
सदन सिद्ध नव निध फल , मनवांछित पावे ||

माता सती की जय


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