साँवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।
तर्ज – आया तेरे दर पे दीवाना
दोहा – जो हार के संसार से,
दरबार तेरे आया है,
नही लौटा है वो खाली,
जो माँगा है वो ही पाया है।
साँवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।
सांवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही,
नहीं है कोई नहीं है कोई,
कोई नही है कोई नही है
कोई भी नही,
साँवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।
बनाए बिगड़ी तकदीरे,
दुखो की काटे जंजीरे,
संसार में ऐसा कोई नही,
सांवरिया जैसा कोई नहीं,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।
शरण इसकी जो आए,
खुशी से झूम जाए,
डोर इससे बंधी हो,
उसे फिर क्या कमी हो,
आ आ आ आ,,,,,,,,,,
हारे का ये सहारा है,
सजीला प्यारा प्यारा है,
देखा देखा नही है,
इसके जैसा नही है,
तिहु लोक में ऐसा कोई नही है,
सांवरिया जैसा कोई नहीं,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।
नही है नही है कही भी नही है,
नही है कोई नही है कोई,
आ आ आ आ,,,,,,,,,,
कोई नही है कोई नही है कोई भी नही,
साँवरिया जैसा कोई नहीं,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।
सुदी की ग्यारस प्यारी,
लाखो आते नर नारी,
सुदी की ग्यारस प्यारी,
लाखो आते नर नारी,
झलक पाने को इसकी,
भीड़ होती है भारी,
झलक पाने को इसकी,
भीड़ होती है भारी,
‘लहरी’ कोई नही है,
इसके जैसा नही है,
दातार दयालु कोई नही,
सांवरिया जैसा कोई नहीं,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।
बनाए बिगड़ी तकदीरे,
दुखो की काटे जंजीरे,
संसार में ऐसा कोई नही,
सांवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।
सांवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही,
नहीं है कोई नहीं है कोई,
कोई नही है कोई नही है
कोई भी नही,
सांवरिया जैसा कोई नही,
मेरे श्याम धणी सा कोई नही।।