श्याम झूले हनुमत झूले, झूले शंकर त्रिपुरारी,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।
तर्ज – झूट बोले कव्वा काटे
श्लोक – दादुर मोर पपीहा बोले,शीतल पड़े फुहार,
छटा छबीली रंग रंगीली, खिल रही केसर क्यार,
ब्रम्हा विष्णु शंकर आये, और बजरंगी बलवान,
राधा झूला झूलन आई, और आये मदन मुरार।।
श्याम झूले हनुमत झूले, झूले शंकर त्रिपुरारी,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।
कैलाश से भोले आए है, बजरंगी वीर पधारे है,
बजरंगी वीर पधारे है, जो राम के सेवक प्यारे है,
जो राम के सेवक प्यारे है, सब भक्तो के रखवारे है,
सखिया आई बरसाने से, मनमोहन की प्यारी,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।
सुन मुरली वाले की मुरली, बजरंग हुए मतवाले है,
बजरंग हुए मतवाले है, सुध भूले डमरू वाले है,
सुध भूले डमरू वेल है, जो माँगो देने वाले है,
राधे श्याम का दर्शन करने, देखो आये त्रिपुरारी,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।
हनुमान झूले भोले झूले, झूले कृष्ण मुरारी है,
झूले कृष्ण मुरारी है, जिनके संग राधा प्यारी है,
जिनके संग राधा प्यारी है, और बृज की सखिया सारी है,
राधे श्याम की जोड़ी सबको, देखो लगती प्यारी है,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।
सावन की तीजो का मेला, हर एक मन को भाया है,
हर एक मन को भाया है, भक्तो ने खूब सजाया है,
भक्तो ने खूब सजाया है, शर्मा दर्शन को आया है,
लख्खा भी झांकी पे इनकी, देखो जाये बलिहारी,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।
श्याम झूले हनुमत झूले, झूले शंकर त्रिपुरारी,
राधा रानी झूला झूले, ओढ़े चुनर तारा री।।