रे मन मूर्ख कब तक जग में जीवन व्यर्थ बिताएगा
रे मन मूर्ख कब तक जग में, जीवन व्यर्थ बिताएगा, राम नाम नहीं गाएगा तो, अंत समय पछताएगा।। जिस जग में तू आया यह, एक मुसाफिर खाना है, सिर्फ़ रात भर रुकना इसमें, सुबह सफ़र …
रे मन मूर्ख कब तक जग में, जीवन व्यर्थ बिताएगा, राम नाम नहीं गाएगा तो, अंत समय पछताएगा।। जिस जग में तू आया यह, एक मुसाफिर खाना है, सिर्फ़ रात भर रुकना इसमें, सुबह सफ़र …