थारी मोर की छड़ी को,
फटकारो लागे,
फटकारो लागे,
म्हाने सांवरो सलोनो,
जादुगारो लागे।।
तर्ज – मीठे रस से भरयो री।
मकराणे की श्याम हवेली,
बड़ी अनोखी है अलबेली,
ओ बाबा घडी घडी नाम को,
जयकारो लागे,
जयकारो लागे,
म्हाने सांवरो सलोनो,
जादुगारो लागे।।
सेवकिया सुध बुध बिसरावे,
निरख निरख आंसू ढलकावे,
जाणु म्हारे स्यामी बैठ्यो,
मायत म्हारो लागे,
मायत म्हारो लागे,
म्हाने सांवरो सलोनो,
जादुगारो लागे।।
मोर मुकुट में हीरो चमके,
मुखड़ो थारो दम दम दमके,
थारो भक्ता ने रूप,
घणो प्यारो लागे,
घणो प्यारो लागे,
म्हाने सांवरो सलोनो,
जादुगारो लागे।।
‘हर्ष’ शरण जो हार के आवे,
सांवरियो बिन कंठ लगावे,
बाबो हारोड़या भगत को,
सहारो लागे,
हाँ सहारो लागे,
म्हाने सांवरो सलोनो,
जादुगारो लागे।।
थारी मोर की छड़ी को,
फटकारो लागे,
फटकारो लागे,
म्हाने सांवरो सलोनो,
जादुगारो लागे।।