वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी,
भवजल डूबत तारियो रे,
म्हारा सतगुरु लियो रे उबारी,
आप नी वेता जगत में तो,
कुण करता म्हारी सहाई,
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी।।
असंग जुगा रो सुतो म्हारो हंसलो,
सतगुरु रे दियो रे जगाय,
शबद री सिसकारी,
हां रे शबद री सिसकारी,
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी।।
जम सु झगड़ा जितिया रे,
इण भव सागर या रे माए,
भयो आनंद भारी,
हां रे भयो आनंद भारी,
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी।।
गुरु बिन अँधा जाणिये रे,
नहीं है आतम ज्ञान,
जगत पच पच हारी,
हां रे जगत पच पच हारी,
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी।।
‘फूलगिरि’ जी री विनती रे,
एक दुर्बल करे है पुकार,
अरज अब सुण म्हारी,
हां रे अरज अब सुण म्हारी,
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी।।
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी,
भवजल डूबत तारियो रे,
म्हारा सतगुरु लियो रे उबारी,
आप नी वेता जगत में तो,
कुण करता म्हारी सहाई,
वारि ओ गुरुदेव आपने बलिहारी।।
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Viki Dhanak Sagr
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